Friday, May 4, 2012

मार्ग सत्य और जीवन / Way Truth & Life



सन्त योहन १२ः४४
ईसा ने पुकार कर कहा जो मुझ में विश्वास करता है, वह मुझ में नहीं बल्कि जिसने मुझे भेजा, उसमें विश्वास करता है


येशु मसीह ऐसा क्यों कहते हैं कि उन में विश्वास करना उनके  पिता में विश्वास करने के समान है ? प्राथना में जब मै प्रभु येशु कि आँखों में देखती हूँ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे कि उनकी  आँखों में सारे समंदर की गहराई , सारे विश्व की ऊंचाई , सारा संसार समा गया है  l  येशु हमेशा अपने पिता में एक हैं और वे अपने पिता कि आँखों से मेरी आँखों में देखते हैं l इन्ही आँखों में मुझे दुनिया भर का प्यार दिखता है lयेशु भी चाहते हैं कि वे मेरी आँखों में सारे संसार के लिए प्रेम देखें l यही उनका  सपना है l जब हम एक दिल और एक मन  हो जाते हैं तो प्रार्थना में प्रभु येशु के साथ मिलन का मतलब है उनके पिता में समा जाना l येशु ही  रास्ता हैं और इस जीवन का लक्ष  उन्ही में हैं l
मेरी आज यह प्रार्थना है कि पवित्र आत्मा हमें इतनी शक्ति दें कि हम अपने आप को हर पल दिव्य त्रैत्य को समर्पित कर सके  और उनमे मुक्ति और जीवन पाएं l



Way Truth & Life 

Romans 12:44  Yet Jesus had said, and even cried out, "Whoever believes in me, believes not in me but in him who sent me.

Why does Jesus say that to believe in Him is to believe in His Father ? When in prayer I look in Jesus’ eyes I feel as if there is present  the depth of the ocean , the height  and breadth of the universe . Jesus is always One with the Father and He looks in my eyes with the eyes of His Father. In His eyes I can see the love that fills the entire universe.  Even Jesus desires to see  in my eyes –the love for the whole universe. This is His dream. When we become  one heart and one mind in prayer and are united with Jesus , we become one with the Father . Jesus is the Way - and the Destination of this Life is also present in Him.

Today I pray that the Holy Spirit give us enough strength  to surrender ourselves to the Holy Trinity and find  Salvation and Life !


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